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श्री शनि जयंती
श्री शनि जयंती
श्री शनि जयंती का पर्व हिंदू धर्म में शनिदेव के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मई या जून के बीच आता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, और उन्हें कर्मों के फलदाता के रूप में पूजा जाता है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे अपने अनुशासन और न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध हैं, और उनकी पूजा करने से भक्तों को जीवन में सुख, शांति और समृद्धि मिलती है।
श्री शनि जयंती के दिन, भक्त विशेष रूप से शनिदेव के मंदिरों में जाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन, लोग काले कपड़े पहनते हैं, क्योंकि शनिदेव को काले रंग से विशेष रूप से प्रेम है। भक्त इस दिन तिल, काले चने, और तेल का भोग अर्पित करते हैं, साथ ही शनि मंत्रों का जाप भी करते हैं।
इस दिन की विशेषता यह भी है कि भक्त अपने पापों का प्रायश्चित करने और शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष व्रत रखते हैं। कई लोग इस दिन रातभर जागरण करते हैं और भजन-कीर्तन करते हैं, जिससे वे शनिदेव की कृपा को प्राप्त कर सकें।
श्री शनि जयंती का पर्व व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्टों से मुक्ति पाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन लोगों को अपने कर्मों के प्रति जागरूक करने और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा भी देता है। शनि जयंती मनाने से भक्तों को न केवल आध्यात्मिक लाभ होता है, बल्कि यह उन्हें अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
इस प्रकार, श्री शनि जयंती न केवल शनिदेव के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करने का अवसर है, बल्कि यह समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ाने का भी एक साधन है। इस दिन की पूजा से भक्त अपने जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को पार करने की शक्ति प्राप्त करते हैं।