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कलयुग में प्रथम स्थापित

सिद्ध श्री शनिदेव मंदिर, हरिद्वार

 

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श्री शनिदेव जी के अन्य भगवान संबंध

श्री शनिदेव हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता हैं, जिन्हें न्याय का देवता माना जाता है। वे कर्मफलदाता हैं, जो हर व्यक्ति को उनके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। श्री शनिदेव का अन्य भगवानों के साथ विशेष संबंध और भूमिका है, जो हिन्दू धर्म के पुराणों और कथाओं में विस्तृत रूप से वर्णित हैं।

श्री शनिदेव और भगवान सूर्य:

शनि देव, भगवान सूर्य के पुत्र हैं। शनि का जन्म सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया (संध्या) से हुआ था। हालांकि, शनि और सूर्य देव के संबंध कुछ कटु माने जाते हैं। एक पुराण कथा के अनुसार, शनि देव का रंग काला था, और सूर्य देव ने संदेह किया कि शनि उनका पुत्र नहीं है। इस कारण से सूर्य देव और शनि देव के बीच दूरियाँ बढ़ गईं। इसके बावजूद, शनि देव सूर्य देव के प्रति श्रद्धावान रहते हैं, और पिता-पुत्र का यह रिश्ता शनि की न्यायप्रियता को और भी बल देता है। शनिदेव के क्रोध और कठोर न्याय की तुलना सूर्य देव की रोशनी और शक्ति से की जाती है।

श्री शनिदेव और हनुमान जी:

शनि देव और भगवान हनुमान के बीच एक गहरा और विशेष संबंध है। जब रावण ने शनिदेव को बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी ने उनकी मुक्ति कराई थी। इसके परिणामस्वरूप, शनिदेव ने हनुमान जी को वचन दिया कि जो भी भक्त हनुमान जी की आराधना करेगा, उस पर उनकी दृष्टि (कठोर शनि की दशा) का प्रभाव कम होगा। यही कारण है कि हनुमान भक्तों को शनि दोष या साढ़े साती के समय हनुमान चालीसा पढ़ने की सलाह दी जाती है, क्योंकि हनुमान जी की पूजा से शनि के अशुभ प्रभाव को दूर किया जा सकता है।

श्री शनिदेव और भगवान शिव:

शनि देव भगवान शिव के परम भक्त माने जाते हैं। एक कथा के अनुसार, जब शनि देव का जन्म हुआ, तो उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। शिवजी ने शनिदेव को न्याय का अधिकार सौंपा, और उन्हें ग्रहों में सबसे शक्तिशाली स्थान प्रदान किया। शनिदेव की महिमा को शिवजी के आशीर्वाद से जोड़ा जाता है, और शनिदेव की पूजा करने वाले भक्त शिवजी की भी आराधना करते हैं।

श्री शनिदेव और यमराज:

शनि देव के भाई यमराज मृत्यु के देवता हैं। शनि और यमराज दोनों को न्यायाधीश के रूप में देखा जाता है—जहाँ यमराज मृत्यु के बाद आत्मा को उसके कर्मों के आधार पर न्याय देते हैं, वहीं शनि देव जीवित अवस्था में व्यक्ति को उसके कर्मों का फल देते हैं। इस प्रकार, शनि देव और यमराज दोनों का कार्यक्षेत्र अलग होते हुए भी, वे दोनों ही कर्म और न्याय के सिद्धांत पर आधारित देवता हैं।

श्री शनिदेव और देवी काली:

शनिदेव का संबंध देवी काली से भी माना जाता है, क्योंकि दोनों को काल और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है। शनिदेव जहाँ कर्मों के अनुसार जीवन में बदलाव लाते हैं, वहीं देवी काली जीवन और मृत्यु के चक्र का संचालन करती हैं। शनिदेव की पूजा में देवी काली की आराधना भी की जाती है, विशेषकर उन परिस्थितियों में जब व्यक्ति जीवन में गंभीर संकटों का सामना कर रहा हो।

श्री शनिदेव और भगवान विष्णु:

भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में जाना जाता है, और शनिदेव उनके न्याय के सहायक माने जाते हैं। विष्णु पुराण में शनिदेव का उल्लेख भगवान विष्णु के एक सहायक के रूप में किया गया है, जो संसार में धर्म और अधर्म के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

निष्कर्ष:

श्री शनिदेव का अन्य देवताओं के साथ गहरा संबंध दर्शाता है कि उनका कार्य केवल दंड देने का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के कर्म और न्याय का संचालन करने का है। शनिदेव की पूजा और आराधना से भक्त जीवन में सच्चाई, कर्तव्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि वे अपने कर्मों का सटीक फल प्राप्त करें।