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कलयुग में प्रथम स्थापित

सिद्ध श्री शनिदेव मंदिर, हरिद्वार

 

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जाग्रत हवन कुण्ड

जाग्रत-हवन-कुण्ड एक विशेष हवन स्थल है जो भक्तों के लिए धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व रखता है। इसे “जाग्रत” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहाँ की ऊर्जा और वातावरण भक्तों के लिए अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावी माने जाते हैं। इस तरह के हवन-कुण्ड का उपयोग विशेष रूप से धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञों और हवन के लिए किया जाता है, जहाँ अग्नि में आहुतियाँ डालकर देवी-देवताओं की आराधना की जाती है।

शनि देव मंदिर में जाग्रत-हवन-कुण्ड:

यदि यह हवन-कुण्ड किसी शनि देव मंदिर में स्थित है, तो इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है, और उनके मंदिरों में की जाने वाली पूजा से जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों से मुक्ति पाने की आशा की जाती है। शनि देव से जुड़े हवन विशेष रूप से शनिदोष से मुक्ति पाने, बाधाओं को दूर करने और जीवन में शांति प्राप्त करने के लिए किए जाते हैं।

इस हवन-कुण्ड में श्रद्धालु नियमित रूप से हवन और यज्ञ करके शनि देव से आशीर्वाद प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इसके साथ ही, यहाँ विशेष रूप से शनिवार के दिन भीड़ अधिक होती है, क्योंकि यह दिन शनि देव को समर्पित होता है। हवन-कुण्ड के पास बैठकर या हवन में भाग लेकर भक्तगण शनि देव की कृपा पाने की कामना करते हैं।

जाग्रत हवन कुण्ड का महत्त्व:

  1. ऊर्जा का केंद्र: इसे आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली माना जाता है और यहाँ किए गए अनुष्ठानों का असर बहुत गहरा होता है।
  2. पवित्रता का प्रतीक: हवन-कुण्ड में की गई आहुतियाँ व्यक्ति के जीवन की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती हैं।
  3. मनोकामनाओं की पूर्ति: भक्तों का विश्वास है कि यहाँ किए गए हवन से शनि देव की कृपा से उनकी इच्छाएँ पूरी होती हैं।

इस प्रकार, जाग्रत-हवन-कुण्ड एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल होता है, खासकर यदि यह शनि देव मंदिर में स्थित हो। यहां नियमित रूप से पूजा और हवन करने से भक्तों को मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल मिलता है।