शनि देव मंदिरों में मुख्य रूप से शनि देव की मूर्ति स्थापित होती है, लेकिन इसके अलावा भी कई अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ होती हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से शनिदेव के साथ की जाती है। ये अन्य प्रतिमाएँ मंदिर के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व को और भी बढ़ाती हैं। इन देवताओं का शनि देव से गहरा संबंध होता है, और उनकी उपस्थिति से मंदिर का वातावरण अधिक पवित्र और ऊर्जा से भरपूर हो जाता है।
1. भगवान हनुमान जी:
शनि देव मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति विशेष रूप से स्थापित की जाती है। हनुमान जी और शनि देव का संबंध पुराणों में वर्णित है, जहाँ हनुमान जी ने शनि देव को रावण के बंदीगृह से मुक्त कराया था। इसके बाद शनि देव ने वचन दिया कि जो भी हनुमान जी की पूजा करेगा, उसे उनकी (शनि देव की) दशा का कष्ट कम होगा। इसलिए, शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए भक्त हनुमान जी की विशेष रूप से आराधना करते हैं, और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करने का महत्व है। मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति शनि देव के पास या उनके निकट स्थापित की जाती है, ताकि भक्तगण दोनों की एक साथ पूजा कर सकें।
2. भगवान शिव:
शनि देव को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है, इसलिए शनि देव मंदिरों में शिवलिंग या भगवान शिव की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। शनि देव की कठोर दृष्टि से बचने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए भक्त भगवान शिव की भी पूजा करते हैं। शिवलिंग के रूप में शिवजी की पूजा विशेष रूप से शनि देव से संबंधित मंदिरों में देखी जाती है, और शनि की दशा के प्रभाव को कम करने के लिए शिव जी का अभिषेक भी किया जाता है।
3. भगवान सूर्य देव:
चूंकि शनि देव भगवान सूर्य के पुत्र हैं, इसलिए कई शनि मंदिरों में सूर्य देव की प्रतिमा भी स्थापित होती है। सूर्य देव का शनि देव के साथ पिता-पुत्र का संबंध पुराणों में वर्णित है। भक्तगण सूर्य देव को प्रणाम करके शनि देव की पूजा शुरू करते हैं, क्योंकि सूर्य से ही शनि देव की उत्पत्ति मानी जाती है। सूर्य देव की प्रतिमा से जीवन में रोशनी, ऊर्जा, और सकारात्मकता प्राप्त करने की मान्यता है, जबकि शनि देव से न्याय और कर्मफल की प्राप्ति की जाती है।
4. भगवान यमराज:
शनि देव और यमराज को भाई माना जाता है, इसलिए कुछ शनि मंदिरों में यमराज की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। यमराज मृत्यु के देवता हैं और कर्मों के आधार पर आत्मा को न्याय देते हैं। शनि देव के मंदिरों में यमराज की उपस्थिति न्याय और कर्मफल की गहनता को दर्शाती है। भक्तों का मानना है कि शनि देव और यमराज दोनों की कृपा से उन्हें जीवन और मृत्यु के बाद के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
5. देवी काली:
कुछ शनि देव मंदिरों में देवी काली की भी प्रतिमा स्थापित की जाती है। देवी काली और शनि देव दोनों ही काल और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं। देवी काली की उपासना से भक्तगण जीवन की सभी कठिनाइयों और विपत्तियों से मुक्त होने की कामना करते हैं। काली माता की पूजा शनि के कठिन प्रभावों से बचने के लिए विशेष रूप से की जाती है।
6. नवग्रह प्रतिमाएँ:
शनि देव मंदिरों में नवग्रहों की प्रतिमाएँ भी स्थापित होती हैं, जिसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। नवग्रह पूजा का उद्देश्य जीवन में सभी ग्रहों की कृपा प्राप्त करना और उनकी नकारात्मक दशाओं से बचना होता है। नवग्रहों में शनि देव की अपनी विशेष भूमिका होती है, और उन्हें सबसे शक्तिशाली और कठोर ग्रह माना जाता है। इसलिए, नवग्रहों की पूजा करने से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और अन्य ग्रहों की दशाओं का भी शांति के साथ सामना किया जा सकता है।
7. भगवान गणेश:
शनि देव के मंदिरों में प्रवेश द्वार पर अक्सर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है। गणेश जी विघ्नहर्ता माने जाते हैं, और उनकी पूजा से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। शनि देव की पूजा से पहले गणेश जी की आराधना की जाती है, ताकि पूजा के दौरान आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके।
निष्कर्ष:
शनि देव मंदिरों में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ विशेष रूप से शनि देव की पूजा के अनुभव को अधिक समृद्ध बनाती हैं। ये सभी देवता शनिदेव के साथ किसी न किसी रूप में जुड़े होते हैं, और उनकी पूजा से भक्त जीवन में आने वाली कठिनाइयों और बाधाओं से मुक्ति पाने की कामना करते हैं।